आम का पेड़: आयुर्वेद का स्वास्थ्यवर्धक राजा
आम का पेड़: आयुर्वेद का स्वास्थ्यवर्धक राजा
आम का परिचय: नाम और पहचान
आम के पेड़ की शारीरिक विशेषताएं
1. पेड़ का स्वरूप :
2. पत्तियां :
3. फूल:
4. फल:
5. प्रमुख किस्में:
आम के पेड़ों की प्रमुख किस्में: स्वाद, गुण और विशेषताएँ
भारत को "आम का जनक" कहा जाता है, यहाँ आम की 1000 से अधिक किस्में पाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध और स्वास्थ्यवर्धक किस्मों के बारे में जानिए, जो न सिर्फ स्वाद में बेमिसाल हैं, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद मानी गई हैं:
1. अल्फांसो (हापुस)
उत्पत्ति: महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक
विशेषताएँ:
फल सुनहरे पीले रंग के, रसीले और मीठे।
गूदे में केसर जैसी खुशबू।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में "किंग ऑफ मैंगो" के नाम से मशहूर।
आयुर्वेदिक उपयोग: पचने में हल्का, पित्त शामक।
2. दशहरी
उत्पत्ति: उत्तर प्रदेश (मालिहाबाद)
विशेषताएँ:
फल हरे-पीले रंग के, गूदा रेशारहित और मीठा।
बीज पतला, गुठली छोटी।
आयुर्वेदिक उपयोग: गर्मी में शीतलता देने वाला, पाचक।
3. लंगड़ा
उत्पत्ति: उत्तर प्रदेश (वाराणसी)
विशेषताएँ:
पकने पर भी हरे रंग का छिलका।
गूदा नारंगी, मीठा और रसीला।
आयुर्वेदिक उपयोग: रक्त शुद्ध करने वाला, त्वचा रोगों में लाभकारी।
4. चौसा
उत्पत्ति: उत्तर भारत
विशेषताएँ:
फल बड़े आकार के, पीले रंग के।
गूदा मुलायम और रेशारहित।
आयुर्वेदिक उपयोग: शरीर को ऊर्जा देने वाला, वात संतुलित करे।
5. तोतापुरी
उत्पत्ति: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु
विशेषताएँ:
फल लंबा और नुकीला (तोते की चोंच जैसा)।
स्वाद में हल्का खट्टा-मीठा, अचार बनाने के लिए उपयुक्त।
आयुर्वेदिक उपयोग: कच्चा फल पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है।
6. केसर
उत्पत्ति: गुजरात
विशेषताएँ:
गूदा गहरा नारंगी, केसर जैसी सुगंध।
छिलका मोटा, कीट प्रतिरोधी।
आयुर्वेदिक उपयोग: आँखों की रोशनी बढ़ाने वाला (विटामिन ए से भरपूर)।
7. नीलम
उत्पत्ति: दक्षिण भारत
विशेषताएँ:
फल छोटे, पकने पर पीले।
देर से पकने वाली किस्म (जुलाई-अगस्त)।
आयुर्वेदिक उपयोग: प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करे।
8. सिंदूरी (बादामी)
उत्पत्ति: कर्नाटक
विशेषताएँ:
फल हल्के पीले रंग के, बादाम जैसी खुशबू।
गूदा रेशारहित और मीठा।
आयुर्वेदिक उपयोग: हृदय स्वास्थ्य के लिए उत्तम।
आयुर्वेदिक गुण एवं प्रभाव
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से चयन का मंत्र:
पित्त दोष वाले: मीठे और रसीले आम (अल्फांसो, दशहरी) चुनें।
कफ दोष वाले: कच्चे या हल्के खट्टे आम (तोतापुरी) बेहतर।
वात दोष वाले: पके आम का सेवन संयमित मात्रा में करें।
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